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नरसिंहवाड़ी दत्त मंदिर की जानकारी:Narsinhwadi Datta Mandir

Narsinhwadi Datta Mandir

नरसिंहवाड़ी दत्त मंदिर की जानकारी : दोस्तों आज हम आपको महाराष्ट्र में कोल्हापुर जिले के पास एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने वाले हैं की, जो बहुत ही सुंदर और आकर्षक मंदिर है। यह मंदिर कृष्णा नदी के तट पर निर्मित महाराष्ट्र के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। इस मंदिर में श्री दत्त की मूर्ति विराजमान हैं।

यह दत्त मंदिर एक प्रतिष्ठित हिंदू मंदिर है जो भगवान श्री दत्त के अवतार नरसिंह सरस्वती को समर्पित है। इसे नरसोबाचीवाड़ी इस नाम से भी जाना जाता है। यह पवित्र दत्त मंदिर पंचगंगा और कृष्णा नदी इन दो नदियों के संगम पर है। यह मंदिर महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में है। यह मंदिर सांगली से 40 किलोमीटर की दूरी पर है। तो चले जान लेते हैं इस मंदिर के बारे में एक छोटी जानकारी!Narsinhwadi Datta Mandir

Narsinhwadi Datta Mandir

मंदिर का इतिहास

प्राचीन काल में यहां एक बहुत ही घना जंगल था। नरसिंह सरस्वती स्वामी श्री भगवान दत्त के 16 वंशज हैं। कुरुन्दवाड में उन्होंने अपनी तपस्या की थी।1034 से 1982 के दौरान वाडी में रामचंद्र योगी, नारायण स्वामी, मौनी महाराज, टेंबे स्वामी और म्हादाबा पाटिल परंपरा है। कृष्णा और पंचगंगा इन दो नदियों के संगम पर मूल मंदिर स्तिथ है। इसकी परंपरा 500 से 600 साल पुरानी है।

मंदिर किसीने बनवाया

इस वर्तमान मंदिर का निर्माण विजापुर के राजा आदिलशाह ने कराया है। इस राजा की पुत्री की आंखे चली थी। बीदर बादशाह को पूछने के बाद वह नरसिंहवाड़ी चले आए। उन्होंने श्री गुरु की पूजा की और नवास भी किया। इसके बाद उपासक द्वारा दी गई राख जब उन्होंने बेटी की आंखों पर लगाई तो उनकी दृष्टि वापस आ गई।

राजा बहुत ही खुश हो गया। पता चलता है की कृष्णा नदी की दूसरी छोर की दो गांवों को इनाम भी दिया था। उन्हें मंदिर की पूजा सक्षम करने के लिए स्वामित्व दिया गया। इस मंदिर को कोई शिखर नहीं है। यह एक लंबी और ऊंची इमारत है। मंदिर के सामने कृष्णा नदी है और वह धीरे धीरे बह रही है।

त्यौहार और समारोह

हर दिन यहां पूजा की जाति है। इस पूजा में देवताओकों फल, फूल और पान चढ़ाए जाते हैं। हर शाम पालकी यात्रा पर निकलती है और इसके साथ भजन भी गए जाते हैं। इसके साथ यहां दत्त जयंती, नरसिंह जयंती और गोकुल अष्टमी यहां के मुख्य त्यौहार है।

पास में घूमने की जगह

नरसिंहवाड़ी दत्त मंदिर महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में स्थित है। यह मंदिर कृष्णा नदी के तट पर है। अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांति के लिए यह मंदिर जाना जाता है। आप मंदिर के शांत वातावरण का आनंद उठा सकते हैं और भगवान श्री दत्त की पूजा भी कर सकते हैं। जिन्हें ब्रम्हा, विष्णु और शिव का अवतार माना जाता है।

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इस मंदिर के आस पास घूमने के लिए “डंडोबा हिल्स” वनस्पतियों और जीवों से समृद्ध एक वन क्षेत्र है। पर्यटक यहां दूर दूर से घूमने आते हैं। इसके साथ आप कोल्हापुर और मिरज के नज़दीक शहरों में घूम सकते हैं।

Narsinhwadi Datta Mandir

नरसिंहवाड़ी से दूरियां

  • कोल्हापुर : 49 कि.मी
  • पंढरपूर : 144 कि.मी
  • महाबलेश्वर : 207 कि.मी
  • पुणे : 256 कि.मी
  • शनी शिंगणापूर : 352 कि.मी
  • शिरडी : 396 कि.मी
  • मुंबई : 399 कि.मी
  • पैठण : 404 कि.मी
  • नासिक : 472 कि.मी

नरसिंहवाड़ी से कोल्हापूर घूमने की जगह

  • महालक्ष्मी मंदिर : 51 कि.मी
  • रंकाला झील : 58 कि.मी
  • ज्योतीबा मंदिर : 64 कि.मी
  • पन्हाला किला : 74 कि.मी
  • भवानी मंडप : 54 कि.मी

नरसिंहवाड़ी जाने का अच्छा समय

नरसिंहवाड़ी जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक है, जब मौसम सुहाना होता है और नदियां भरी होती हैं। भक्त गण यहां मानसून के मौसम के दौरान भी यात्रा कर सकते हैं। इसी समय वातावरण हरा भरा और सुंदर होता है। इस दौरान होने वाली बारिश और बाढ़ से सावधान रहना चाहिए।Narsinhwadi Datta Mandir

Narsinhwadi Datta Mandir

मंदिर का समय

  • काकड़ आरती और पादुका पूजा : सुबह 05 बजे
  • रुद्राभिषेक : सुबह 08 बजे से दोपहर 12 बजे तक
  • महापूजा और आरती : दोपहर 12.30 बजे से 1.30 बजे तक
  • पवमन सूक्त पारायण : दोपहर 03.00 बजे से शाम 4.00 बजे तक
  • धूप आरती : शाम 7.30 बजे
  • पालकी : रात को 08.00 बजे निकलती है
  • शेज आरती : रात 10.00 बजे आरती के बाद मंदिर बंद किया जाता है।

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नरसिंहवाड़ी का महत्त्व

नरसिंहवाड़ी श्री दत्त और श्री नरसिंह सरस्वती के भक्तों के लिए बहुत महत्व पूर्ण स्थान है। ऐसा भी माना जाता है की यह स्थान श्री नरसिंह सरस्वती निवास और समाधी स्थान रहा है। इस स्थान को एक क्षेत्र और एक पवित्र भूमि भी माना जाता है जहां दिव्य ऊर्जा प्रकट होती है और आध्यामिक कंपन उच्च होते हैं। यहां भक्तों को गुरु और भगवान की उपस्थिति में शांति और आनंद का अनुभव मिलता है।

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